बुधवार, 25 फ़रवरी 2009

त्रिलोचन का आखिरी संग्रह 'मेरा घर'

जीवन के आखिरी हिस्से में कोई कवि क्यों घर लौटता है , कवि ही नहीं कोई व्यक्ति अपने घर क्यों लौटता है? निराशा में , हताशा में , हर जगह से ठुकराए जाकर , विकल्पहीनता और मजबूरी में या मोहग्रस्तता और कमजोर मनःस्थिति में। ये सभी कारण हो सकते हैं , पर क्या इतने ही ? केवल इतनी बात नहीं हो सकती। नागार्जुन - त्रिलोचन का घर लौटना 'लौट के बुद्धू का घर आना' नहीं है। इन कवियों ने उस अर्थ में कभी घर छोड़ा ही नहीं, जहाँ भी गए घर को लादे-लादे गए। इसलिए नागार्जुन -त्रिलोचन की उम्र का कवि जब घरमुहाँ होता है तो विकल्पहीनता में नहीं , अपनी इच्छा से। इन कवियों का इस उमर में घर लौटना जहाँ एक तरफ जीवन से इनके उत्कट राग का परिचायक है वहीँ दूसरी तरफ गंभीर मृत्यु- बोध का भी। बल्कि यह कहना ज्यादा सही होगा की मृत्यु- बोध के ही कारण इनके यहाँ जीवन का यह राग उफनता और बलवान होता है। त्रिलोचन जानते हैं उनका मरना 'कौमन' नहीं है। वे उस ठण्ड से नहीं मर सकते जिस -
'ठण्ड से सब मरते हैं
जो चेतना की शिराओं को सुन्न कर देती है
और जीवन की ऊष्मा हर लेती है।'

6 टिप्‍पणियां:

  1. achchi shuruaat hai.... jiwan me sadgi, lekin blog bahut colourfull hai... padhne walon ki aankho ka bhi kuch khyal rakho.... achcha likha hai... lekin safed kagaz par kali syahi ubhar kar bahar aati hai.....

    mera email.
    rajan.journalistindia@gmail.com
    agar subah net par aao to chat hogi

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  2. बहुत सुन्दर भैया...ये काम आपने अच्छा किया ... हिन्दी साहित्य के लोग अपने लेख और विचार प्रायः इन्टरनेट के माध्यम से जाने क्यों नहीं प्रसारित करते है...मेरा इ मेल पता है ---ppawan8@gmail.com...........
    मैं ऑरकुट पर भी हूँ .. बाकि कमेन्ट बाद मैं... आपका छोटा भाई पवन ....

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  3. BAHUT BAHUT BADHAYI.....ANAMIKA KA PHISLAN ...UNKI KAVITA HO SAKTI HAI...PER SABKI NAHI.....ALL THE BEST
    MY E-MAIL ID:taichunleo@gmail.com

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  4. bahut sahi dr saheb.. global hona jaruri hai.. waise bhi hindi ko aap jaise logo ki jarurat hai.. lekh sare achhe hain.........aapka rajeev..
    mera email id hai.. rajeev13bhu@gmail.com

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  5. sorry 4 late comment.... bahut sukhkar laga. taja kahanion aur vishesankon par bhi kuch likhiye... hame intejaar rahega... punah badhai..........

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